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हरिद्वार में हुए जलभराव के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने राहत एवं बचाव कार्यों की प्रगति की समीक्षा

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज डामकोठी में जनपद हरिद्वार में हुए जलभराव के सम्बन्ध में राहत एवं बचाव कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने उच्चाधिकारियों के साथ इस सम्बन्ध में विचार-विमर्श कर निरंतर स्थिति पर नजर बनाए रखने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने बैठक में पेयजल, स्वास्थ्य, संचार, विद्युत आदि व्यवस्थाओं के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी प्राप्त की तथा निर्देश दिए कि जल भराव वाले क्षेत्रों में सभी व्यवस्थाएं सामान्य रूप से संचालित हो, यह सुनिश्चित किया जाए।मुख्यमंत्री ने जलभराव की वजह से फसलों को हुए नुकसान का आंकलन करने के निर्देश देते हुए कहा कि किसानों की समस्याओं का त्वरित समाधान करने पर भी दिया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि जहां पर भी अतिक्रमण की वजह से दिक्कतें सामने आ रही हैं, आपदा के अन्तर्गत उससे सख्ती से निपटा जाए। बैठक में मुख्यमंत्री को रुड़की विधायक श्री प्रदीप बत्रा, भगवानपुर विधायक श्रीमती ममता राकेश, लक्सर विधायक श्री शहजाद, रानीपुर विधायक श्री आदेश चौहान, पूर्व विधायक लक्सर श्री संजय गुप्ता आदि ने अपने-अपने क्षेत्रों की स्थिति से अवगत कराया। इस अवसर पर हरिद्वार नगर विधायक श्री मदन कौशिक, पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द, भाजपा जिला अध्यक्ष हरिद्वार श्री संदीप गोयल, पूर्व जिला अध्यक्ष डॉ. जयपाल सिंह आदि उपस्थित रहे।

बागेश्वर धाम का दरबार अब लंदन में सजेगा

फोटो : बागेश्वर धाम - SOCIAL MEDIA

Bageshwar Dham News: गुरुवार को बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री लंदन के लिए रवाना हो गए। एयरपोर्ट पर उन्हें छोड़ने के लिए भोजपुरी स्टार और सांसद मनोज तिवारी और रवि किशन भी आए। वहीं बागेश्वर धाम ने दोनों नेताओं की धीरेंद्र शास्त्री के साथ मुलाकात की एक तस्वीर ट्विटर पर साझा की है। 

बागेश्वर धाम ने दोनों नेताओं की धीरेंद्र शास्त्री के साथ मुलाकात की एक तस्वीर भी ट्वीट की है। इसके साथ बागेश्वर धाम ने लिखा ‘परमपूज्य सरकार के अतिप्रिय लोकप्रिय स्टार और सांसद मनोज तिवारी और रवि किशन ने आज पूज्य सरकार से आशीर्वाद लिया और जनकल्याण हेतु प्रार्थना की।’ इस बीच, फ्लाइट में बैठे बागेश्वर सरकार का वीडियो भी सामने आया है जिसमें वो कह रहे हैं ‘करो भव्य दिव्य तैयारी, लंदन आ रहे हैं मुगदरधारी’। 

कौन हैं बाबा बागेश्वर? 
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गढ़ा गांव में जन्में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपनी चमत्कारी सिद्धियों की वजह से, जहां पूरे देश में चर्चा का विषय बने हुए हैं। वहीं मन की बात जान लेने की उनकी कला और सिद्धी ने दुनिया में उनके प्रति एक अलग तरह के आकर्षण को पैदा किया है। उनकी सिद्धी के चलते एक बड़ा जनसमुदाय उनसे जुड़ा हुआ है। इस बीच बीते दो सालों के अंदर-अंदर पंडित धीरेंद्र शास्त्री अपनी सिद्धी के बूते पूरे देश के शहरों में अलग-अलग जगहों पर अपने कार्यक्रम करते रहे हैं। उनके इन कार्यक्रमों में लाखों का जनसमुदाय इकट्ठा होता रहा है। इस बीच उनके इन कार्यक्रमों की इंस्टाग्राम, फेसबुक से लेकर सोशल मीडिया के कई प्लेटफॉर्म पर चर्चा रही है और करोड़ों लोगों ने उनके वीडियो को देखा है। हाल ही में बागेश्वर धाम के कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री नोयडा में आयोजन में पहुंचे। इस दौरान कथा में शामिल होने के लिए लाखों की भीड़ उमड़ी। 

ब्रिटेन में कब होगा कार्यक्रम? 
बागेश्वर सरकार ब्रिटेन की धरा पर पहुंच रहे हैं, जहां 22 जुलाई से 28 जुलाई तक श्री राम कथा होनी है। इस कथा का लंदन में वाचन लेस्टर के प्रजापति हॉल से किया जाएगा। जानकारी के अनुसार, इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण बागेश्वर धाम के यूट्यूब फेसबुक पर भी होगा। 

सचिन-सीमा की शादी,सात फेरे नेपाल में लिए

पाकिस्तान से नेपाल के रास्ते ग्रेटर नोएडा के रबूपुरा आने वाली सीमा हैदर व सचिन मीणा ने नेपाल के काठमांडू में ही सात फेरे लिए थे। इस बात को हालांकि दोनों पुलिस जांच में और मीडिया से बातचीत के दौरान कई बार कह चुके हैं। हालांकि अब तक इस बात की पुष्टि नहीं पा रही थी, लेकिन आज (शुक्रवार) इन दोनों के शादी की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं।

दोनों केहां सात दिनों तक रहने की बात सामने पहले ही आ चुकी है। दोनों ने पुलिस पूछताछ में बताया था कि वो होटल न्यू विनायक में रुके थे। जबकि होटल मैनेजर का कहना था कि उसने खुद दोनों की होटल के रूम नंबर 204 में बुकिंग की थी। बताया जा रहा है कि सचिन ने होटल में यह बोलकर बुकिंग कराई थी कि सीमा उसकी बीवी है। 

हालांकि होटल में दोनों के नाम की एंट्री नहीं। अब जो तस्वीरें समाने आईं हैं उसमें सीमा और सचिन दूल्हे और दुल्हन के तौर पर नजर आ रही हैं। सचिन ने शादी के लिए सूट पहना था तो सीमा ने नीले रंग की साड़ी पहनी थी। तस्वीरों में इन दोनों के अलावा सीमा हैदर के बच्चे भी नजर आ रहे हैं। साथ ही सीमा की मांग में सिंदूर तो गले में मंगलसूत्र भी दिखाई दे रहा है।

 सीमावर्ती थाने की पुलिस और एसएसबी ने बॉर्डर पर संयुक्त रूप से चेकिंग शुरू कर दी है। दोनों देशों से आने-जाने वालों की मेटल डिटेक्टर से शुक्रवार को जांच की गई। पहचान पत्र की जांच के साथ ही लोगों से आने-जाने का कारण भी पूछा जा रहा है।

बरसात में डायरिया होने पर बरतें सावधानियां_

बरसात के दिनों में गैस्ट्रोएंट्राइटिस होने पर डायरिया और उल्टियां होने जैसी परेशानियां हो सकती हैं। इस बीमारी का मुख्य कारण पानी का संक्रमित होना है। यह वायरस, बैक्टीरिया या पैरासाइट्स से होता है।

क्या सावधानी बरतें

  1. हमेशा फिल्टर्ड पानी इस्तेमाल में लाएं। घर में लगे वॉटर फिल्टर की नियमित रूप से सर्विस कराएं।
  2. इसका कंटेनर अंदर से बिल्कुल सूखा होना चाहिए। इसे नल के पानी से साफ करें। अगर यह अंदर से गीला होगा तो फिल्टर होकर जमा होने वाला पानी नल के पानी से मिक्स होकर संक्रमित होकर संक्रमित हो जाएगा। इसे सामान्य पानी से साफ करने के बाद आखिर में उबले या फिल्टर किए पानी से अंदर से धो लें ताकि यह जर्म्स फ्री हो जाए।
  3. इसके कंटेनर को नियमित रूप से धोएं। इसे 2-3 दिन के लिए यों ही रखा रहने देने से भी इसके अंदर गंदगी जमा हो जाती है।
  4. फिल्टर पानी को 24 घंटे के अंदर-अंदर इस्तेमाल करें। इस्तेमाल में लाने के बाद इसके कंटेनर को फिर से साफ करें।
  5. छोटे बच्चों को फिल्टर के पानी को उबालकर व ठंडा करके पीने के लिए देना चाहिए।
  6. डेढ़-दो साल के बच्चे को नहलाना भी इसी पानी से चाहिए, क्योंकि नहलाते समय पानी उनके मुंह में चला जाता है। उससे भी डायरिया हो सकता है।
  7. कई पैरेंट्स बच्चे को गीजर से गरम किए पानी से यह सोचकर नहला देते हैं कि पानी गरम होने की वजह से जर्म्स फ्री हो गया है। ऐसा न करें।
  8. हमेशा खाना बनाने से पहले हाथ धोएं। फल-सब्जियां अच्छी तरह साफ कर इस्तेमाल करें।
  9. बच्चे को भी हाथ धोकर खाना खाने को कहें। छोटे बच्चे दीवारों पर हाथ लगाते हुए चलते हैं और उसी हाथ से खाना खा लेते हैं। इससे भी संक्रमण का खतरा रहता है।
  10. बच्चे को बाजार से कोई भी कटा फल न खाने को दें और न ही ज्यूस पीने दें। मक्खियों की वजह से संक्रमण हो सकता है।
  11. मां बच्चों को गर्मियों में दही, छाछ, मट्ठा आदि खूब दें। दही पाचन शक्ति बढ़ाता है और इंफेक्शन से बचाता है।
  12. बड़े लोगों को डायरिया हो तो वे इलाज कराने पर जल्दी ठीक हो जाते हैं। लेकिन बच्चों को अकसर ठीक होने में वक्त लग जाता है।
  13. अगर बच्चे को डायरिया हो जाए तो डॉक्टर से इलाज कराएं। इसमें मुख्य रूप से डिहाइड्रेशन का खतरा रहता है।

तुलसी इन रोगों में भी लाभकारी…

तुलसी श्वास की बीमारी, मुंह के रोगों, बुखार, दमा, फेफड़ों की बीमारी, हृदय रोग तथा तनाव से छुटकारा दिलाती है। इसके साथ ही प्रजनन संबंधी रोग में भी यह काफी गुणकारी है। यह नपुंसकता, स्तंभन एवं प्रसवोत्तर शूल में यह काफी लाभकारी है।

पंतजलि आयुर्वेदके आचार्य बालकृष्ण के अनुसार, तुलसी कई रोगों में रामबाण औषधि की तरह काम करती है। उन्होंने कहा कि प्रजनन, त्वचा, ज्वर और विष चिकित्सा में तुलसी का प्रयोग लाभप्रद है। तुलसी के प्रयोग से सस्ता व सुलभ तरीके से उपचार किया जा सकता है।

प्रजनन संबंधी रोग में औषधीय प्रयोग विधि :
* स्तंभन के लिए : 2 से 4 ग्राम तुलसी मूल चूर्ण और जमीकंद चूर्ण को मिलाकर 125-250 मिलीग्राम की मात्रा में पान में रखकर खाने से स्तंभन दोष मिटता है।

* प्रसवोत्तर शूल तुलसी के पत्ते के रस में पुराना गुड़ तथा खांड मिलाकर प्रसव होने के बाद तुरंत पिलाने से प्रसव के बाद का शूल नष्ट होता है।

* नपुंसकता समभाग तुलसी बीज चूर्ण या मूल चूर्ण में बराबर की मात्रा में गुड़ मिलाकर 1 से 3 ग्राम की मात्रा में, गाय के दूध के साथ लगातार लेते रहने से एक माह या छह सप्ताह में लाभ होता है।

त्वचा संबंधी रोग में उपयोग :

* कुष्ठ रोग : 10-20 तुलसी के पत्ते के रस को प्रतिदिन सुबह में पीने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।

* तुलसी के पत्तों को नींबू के रस में पीसकर, दाद, वातरक्त कुष्ठ आदि पर लेप करने से लाभ होता है।

* सफेद दाग, झाईं तुलसी के पत्ते का रस, नींबू रस, कंसौदी पत्र तीनों को बराबर-बराबर लेकर उसे तांबे के बरतन में डालकर चौबीस घंटे के लिए धूप में रख दें। गाढ़ा हो जाने पर रोगी को लेप करने से दाग तथा अन्य चर्म विकार साफ होते हैं, इसे चेहरे पर भी लगााया जाता है।

* नाड़ीव्रण : तुलसी के बीजों को पीसकर लेप करने से दाह तथा नाड़ीव्रण का शमन होता है।

* शीतपित्त शरीर पर तुलसी के रस का लेप करने से शीतपित्त तथा दर्द का शमन होता है।

* शक्तिवृद्वि के लिए 20 ग्राम तुलसी बीजचूर्ण में 40 ग्राम मिश्री मिलाकर महीन-महीन पीस लें, इस मिश्रण को 1 ग्राम की मात्रा में शीत ऋतु में कुछ दिन सेवन करने से वात-कफ रोगों से बचाव होता है। दुर्बलता दूर होती है, शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

ज्वर रोग :

* मलेरिया ज्वर तुलसी का पौध मलेरिया प्रतिरोधी है। मलेरिया में तुलसी पत्तों का क्वाथ तीन-तीन घंटे के अंतर से सेवन करें। तुलसी मूल क्वाथ को आधा औंस की मात्रा में दिन में दो बार देने से ज्वर तथा विषम ज्वर उतर जाता है।

* कफप्रधान ज्वर 21 नग तुलसी दल, 5 नग लवंग तथा अदरक रस 500 मिली को पीस छानकर गर्म करें, फिर इसमें 10 ग्राम मधु मिलाकर सेवन करें।

* आंत्र ज्वर 10 तुलसी पत्रा तथा 1 ग्राम जावित्री को पीसकर शहद के साथ चटाने से लाभ होता है।

* साधारण ज्वर : तुलसी पत्रा, श्वेत जीरा, छोटी पीपल तथा शक्कर, चारों को कूटकर सुबह-शाम देने से लाभ होता है।

विष चिकित्सा :
* सर्पविष 5 से 10 मिलीग्राम तुलसी पत्ते के रस को पिलाने से और इसकी मंजरी और जड़ों को बार-बार दंशित स्थान पर लेप करने से सर्पदंश की पीड़ा में लाभ मिलता है। अगर रोगी बेहोश हो गया हो, तो इसके रस को नाक में टपकाते रहना चाहिए।

* शिरोगत विष विष का प्रभाव यदि शिर: प्रदेश में प्रतीत हो तो बंधु, जीव, भारंगी तथा काली तुलसी मूल के स्वरस अथवा चूर्ण का नस्य देना चाहिए।

स्वामी रामदेव का आजमाया स्वानुभूत प्रयोग :
तुलसी के 7 पत्ते तथा 5 लौंग लेकर एक गिलास पानी में पकाएं। पानी पककर जब आधा शेष रह जाए, तब थोड़ा सा सेंधा नमक डालकर गर्म-गर्म पी जाएं यह काढ़ा पीकर कुछ समय के लिए वस्त्र ओढक़र पसीना लें। इससे ज्वर तुरंत उतर जाता है तथा सर्दी, जुकाम व खांसी भी ठीक हो जाती है। इस काढ़े को दिन में दो बार 2-3 दिन तक ले सकते हैं।

–आईएएनएस